Auraiya News औरैया: थाना दिबियापुर क्षेत्र में छह साल पहले हुई नाबालिग से छेड़खानी के मामले में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम) मनराज सिंह की अदालत ने दोषी नरेंद्र सिंह को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

इसके साथ ही अदालत ने 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। मामले में अभियोजन पक्ष ने इसे गंभीर अपराध बताते हुए कठोर सजा की मांग की, जबकि बचाव पक्ष ने दलील दी कि आरोपी ने पीड़िता से शादी कर ली है और उनके दो बच्चे भी हैं।
घटना का विवरण Auraiya news
यह मामला 2018 का है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना दो मार्च 2018 को हुई थी। वादी ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी 14 वर्षीय बेटी दोपहर तीन बजे शौच के लिए घर से बाहर गई थी। इसी दौरान गांव के निवासी नरेंद्र सिंह ने उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। जब किशोरी घर नहीं लौटी, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की और बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने जांच के बाद घटना का खुलासा किया और आरोपी नरेंद्र सिंह, निवासी लखनपुर, के खिलाफ अपहरण, पॉक्सो अधिनियम और छेड़छाड़ की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। विवेचना पूरी करने के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया।
मुकदमे की सुनवाई Auraiya news

विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम) मनराज सिंह की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक ने अदालत के समक्ष तर्क रखा कि नाबालिग के साथ इस तरह के अपराध समाज और कानून के लिए अत्यंत गंभीर हैं। उन्होंने इसे न केवल पीड़िता के अधिकारों का उल्लंघन बताया, बल्कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए कड़ी सजा देने की अपील की। Auraiya news
दूसरी ओर, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी नरेंद्र सिंह ने जिस नाबालिग को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया था, बाद में उसी से शादी कर ली। वर्तमान में दोनों पति-पत्नी के रूप में साथ रह रहे हैं और उनके दो छोटे बच्चे भी हैं। बचाव पक्ष ने यह भी बताया कि आरोपी और पीड़िता जयपुर में सिलाई का काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। बचाव पक्ष ने सजा में नरमी बरतने की अपील की। Auraiya news
अदालत का फैसला Auraiya news
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी नरेंद्र सिंह को दोषी ठहराया। विशेष न्यायाधीश ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए दोषी को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही अदालत ने आदेश दिया कि जुर्माने की आधी राशि पीड़िता, जो अब आरोपी की पत्नी है, को दी जाए।

सजा के प्रभाव और सामाजिक दृष्टिकोण
सजा सुनाए जाने के बाद दोषी को जिला कारागार इटावा भेज दिया गया। यह फैसला कानून के तहत नाबालिगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और ऐसे अपराधों के प्रति समाज में कड़ा संदेश देने के उद्देश्य से लिया गया। अभियोजन पक्ष ने अदालत के फैसले की सराहना करते हुए इसे न्यायसंगत और पीड़िता के अधिकारों की रक्षा करने वाला बताया।
हालांकि, इस मामले ने एक जटिल सामाजिक और कानूनी प्रश्न भी खड़ा किया है। जहां एक तरफ यह अपराध नाबालिग के अधिकारों और सुरक्षा का उल्लंघन था, वहीं दूसरी तरफ आरोपी और पीड़िता अब पति-पत्नी के रूप में जीवन बिता रहे हैं और उनके दो बच्चे भी हैं। बचाव पक्ष ने इसे उनके वैवाहिक जीवन और बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए नरमी बरतने का आधार बताया, लेकिन अदालत ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए सजा दी।
सामाजिक और कानूनी चुनौती
इस मामले ने कानूनी और सामाजिक पहलुओं के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को उजागर किया है। जहां एक ओर पॉक्सो अधिनियम के तहत कानून का सख्त पालन आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक परिस्थितियां भी अपनी जगह रखती हैं।
मामला यह सवाल भी उठाता है कि ऐसे मामलों में, जहां अपराधी और पीड़िता बाद में वैवाहिक संबंध में बंध जाते हैं, क्या सजा की प्रकृति और उद्देश्य पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि नाबालिग के साथ अपराध को किसी भी परिस्थिति में माफ नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष Auraiya news
अदालत का यह फैसला कानूनी और सामाजिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। यह निर्णय न केवल पीड़िता के अधिकारों की सुरक्षा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून किसी भी स्थिति में कमजोरों के खिलाफ अपराध को सहन नहीं करेगा। Auraiya news
इस मामले ने यह भी दिखाया कि न्याय प्रणाली के तहत सख्त कानूनों का पालन करना आवश्यक है, भले ही परिस्थितियां बाद में बदल जाएं। हालांकि, इससे जुड़े सामाजिक और व्यक्तिगत पहलुओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि कानून और मानवीय दृष्टिकोण के बीच बेहतर संतुलन स्थापित किया जा सके।

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